Hindi English Sentences 1

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'योग अनुशासन है' इसका अर्थ है कि योग तुम्हारे भीतर एक क्रिस्टलाइज्‍ड सेंटर का, एकजुट केंद्र का निर्माण करना चाहता है। तुम तो जो हो, एक भीड़ हो। और भीड़ के बहुत—से गुण होते हैं। एक तो यह कि भीड़ पर कोई विश्वास नहीं कर सकता। गुरजिएफ कहते थे कि आदमी वादा नहीं कर सकता। वादा करेगा भी कौन? तुम तो वहां होते ही नहीं और तुम वादा करते हो उसे पूरा कौन करेगा? अगली सुबह वह तो रहा ही नहीं जिसने वादा किया था!

"Yoga is discipline" means yoga wants to create a crystallized center in you. As you are, you are a crowd and a crowd has many phenomena. One is, you cannot believe a crowd. Gurdjieff used to say that man cannot promise. Who will promise? You are not there. If you promise, who will fulfill the promise? Next morning the one who promised is no more.

तुम्हारा कोई केन्द्र नहीं। और जब तक तुम्हारे भीतर एक ठोस केन्द्र नहीं बनता तब तक तुम जो भी करोगे उससे और अनिष्ट होगा। तुम्हारे सारे समाज—सुधारक, क्रांतिकारी, तुम्हारे नेता, वे सब अनिष्टकारी और उपद्रव मचाने वाले हैं। दुनिया बेहतर होती यदि नेता न होते। लेकिन वे आदत से मजबूर हैं। वे यही महसूस करते हैं कि उन्हें कुछ करना चाहिए क्योंकि संसार बड़े दुख में है। और स्वयं भीतर केंद्रस्थ हुए नहीं, अत: जो भी वे करते हैं, उससे दुख की मात्रा बढ़ती ही है। केवल करुणा और केवल सेवा सहायक न हो सकेगी। आत्म—केंद्रित व्यक्ति से उठी करुणा की बात ही और है। भीड़ से उठी करुणा हानिकारक है, उपद्रव मचाने वाली है; वह तो जहर

"You don?t have any center, and unless you are centered whatsoever you do will create more mischief." All of your social reformers, your revolutionaries, your leaders, they are the great mischief creators, mischief-mongers. The world will be better if there were no leaders. But they cannot help. They must do something because the world is in misery. And they are not centered, so whatsoever they do they create more misery. Only compassion will not help, only service will not help. Compassion through a centered being is something totally different. Compassion through a crowd is mischief. That compassion is poison.

शिष्य का अर्थ है एक ऐसा खोजी, अन्वेषक, जो भीड़ नहीं है; जो केंद्रीभूत होने की, एकजुट होने की कोशिश कर रहा है, जो कम से कम प्रयास कर रहा है, मेहनत कर रहा है; गहनता से प्रयास कर रहा है, व्यक्ति बनने के लिए, अपनी सत्ता को महसूस करने के लिए, अपना मालिक स्वयं बनने के लिए। तुम तो ऐसे जैसे हो, बस, एक गुलाम हो कितनी—कितनी इच्छाओं के। कितने ही मालिक हैं और तुम तो बस एक गुलाम हो, और अनेक दिशाओं में खींचे जा रहे हो।

A disciple means a seeker who is not a crowd, who is trying to be centered and crystallized, at least trying, making efforts, sincere efforts to become individual, to feel his being, to become his own master. All discipline of yoga is an effort to make you a master of yourself. As you are, you are just a slave of many, many desires. Many, many masters are there, and you are just a slave - and pulled in many directions.

शिष्य का अर्थ है, जो अंतस में केंद्रित है, जो विनम्र, ग्रहणशील और खुला है; जो तैयार है, सचेत है; प्रतीक्षारत और प्रार्थनामय है। योग में गुरु अत्यंत महत्वपूर्ण है—सर्वथा महत्वपूर्ण है। क्योंकि जब तुम उस व्यक्ति के, जो कि आत्मस्थ है, उसके गहन सान्निध्य में होते हो तभी तुम्हारे केंद्रीभूत होने की घटना घटेगी।

A disciple means one who is centered, humble, receptive, open, ready, alert, waiting, prayerful. In yoga, the Master is very, very important, absolutely important, because only when you are in a close proximity of a being who is centered your own centering will happen.

शिष्य का अर्थ है, वह व्यक्ति जो ग्रहण करने को तैयार है, जो एक गर्भाशय की तरह बन चुका है ताकि सद्गुरु उसमें प्रवेश कर सकें, उसे अनुप्राणित कर सकें। सत्संग शब्द का यही अर्थ है। सत्संग प्रवचन नहीं है। हां, प्रवचन हो सकता है, लेकिन प्रवचन तो बस एक बहाना है।

A disciple means one who is ready to receive, who has become a womb - the Master can penetrate into him. This is the meaning of the word satsang. It is not basically a discourse; satsang is not a discourse. Discourse may be there, but discourse is just an excuse.

क्या तुम वास्तव में असंतुष्ट हो? हर कोई कह देगा 'हां', लेकिन वह असंतुष्टि वास्तविक नहीं है। तुम इससे—उससे —किसी बात से असंतुष्ट हो सकते हो लेकिन तुम पूरी तरह असंतुष्ट नहीं हो। तुम अब भी आशा किये जा रहे हो। तुम असंतुष्ट हो भी तो अतीत की किन्हीं आशाओं के कारण, लेकिन भविष्य के लिए तो तुम अब तक आशा किये जा रहे हो। तुम्हारी असंतुष्टि संपूर्ण नहीं है। तुम अब भी कहीं कोई संतोष, कहीं कोई संतुष्टि पा लेने को ललक रहे हो।

Are you really dissatisfied? Everybody will say "yes", but that dissatisfaction is not real. You are dissatisfied with this, you may be dissatisfied with that, but you are not totally dissatisfied. You are still hoping. You are dissatisfied because of your past hopes, but for the future you are still hoping. Your dissatisfaction is not total. You are still hankering for some satisfaction somewhere, for some gratification somewhere.

जैसा मनुष्य है, वह सत्य के साथ नहीं जी सकता।

As man is he cannot exist with the truth.

जैसा आदमी है, वह आत्म—वंचनाओं के बिना जी नहीं सकता।

As man is, man cannot exist without self-deceptions.

एक शिष्य पास आ सकता है। दो कारणों से : एक तो यह कि वह अंतस केंद्रित हो चुका है; एक यह कि वह केंद्रस्थ होने का प्रयत्न कर रहा है। जो केंद्रस्थ होने का प्रयत्‍न कर रहा है वह व्यक्ति भी निर्भय हो जाता है। उसके पास ऐसा कुछ है जिसे मिटाया नहीं जा सकता। तुम्हारे पास कुछ है नहीं और इसीलिए तुम डरते हो। तुम एक भीड़ हो। भीड़ किसी भी क्षण बिखर सकती है। तुम्हारे पास ऐसा कुछ नहीं है, जो कुछ भी घटित होने पर चट्टान की तरह ही मजबूती से बना रहे। तुम जी रहे हो बिना किसी ठोस आधार के, बिना किसी नींव के—ताश के घर की तरह। तो निश्रित ही हमेशा भय में जीयोगे। कोई तेज हवा, या हवा का हल्का झोंका तक तुम्हें नष्ट कर सकता है। इसलिए तुम्हें स्वयं का बचाव करना होता है।

A disciple can be close for two reasons. One: he is a centered one; he is trying to be centered. A person who is trying even to be centered becomes unafraid; he becomes fearless. He has something which cannot be killed. You don?t have anything, hence the fear. You are a crowd. The crowd can disperse any moment. You don?t have something like a rock which will be there whatsoever happens. Without a rock, without a foundation you are existing - a house of cards, bound to be always in fear. Any wind, any breeze even, can destroy you, so you have to protect yourself.

शिष्य होना एक बड़ी उपलब्धि है। अनुशासन के द्वारा ही तुम शिष्य बनते हो। अंतस में केंद्रस्थ होकर ही तुम विनम्र बनोगे। तुम ग्रहणशील बनोगे, तुम खाली हो पाओगे और तब गुरु अपने को तुममें उड़ेल सकता है। तुम्हारी रिक्तता में, तुम्हारे मौन में ही वह प्रवेश कर सकता है, तुम तक पहुंच सकता है। तभी संप्रेषण संभव हो पाता है।

A disciple is a great achievement. Only through discipline you will become a disciple. Only through being centered you will become humble, you will become receptive, you will become empty, and the guru, the Master, can pour himself into you. In your emptiness, in your silence, he can come and reach to you. Communication becomes possible.

और इसी लगातार बचाव के कारण तुम प्रेम नहीं कर सकते, भरोसा नहीं कर सकते, मैत्री नहीं कर सकते। तुम्हारे बहुत से मित्र हो सकते हैं लेकिन मैत्री नहीं है क्योंकि मित्रता समीपता की मांग करती है।

Because of this constant protection, you cannot love, you cannot trust, you cannot be friendly. You may have many friends but there is no friendship, because friendship needs closeness.

सब तथाकथित धर्मों को विश्वासों की जरूरत रहती है। धर्मों में परस्पर कोई विशेष अंतर नहीं है। अंतर है तो उनकी अलग—अलग धारणाओं में ही। एक मुसलमान के अपने विश्वास हैं; इसी तरह हिन्दू और ईसाई के अपने—अपने विश्वास हैं। अंतर तो विश्वासों में ही है। जहां तक विश्वासों की बात है, योग इस विषय में कुछ नहीं कहता। योग तो तुम्हें किसी बात पर विश्वास करने को नहीं कहता। योग कहता है : अनुभव करो। जैसे विज्ञान कहता है : प्रयोग करो, योग कहता है अनुभव करो। प्रयोग और अनुभव एक ही बात है, उनकी दिशाएं अलग—अलग हैं। प्रयोग का अर्थ है कि तुम कुछ बाहर की और कर रहे हो अनुभव का अर्थ है कि तुम कुछ अपने भीतर कर रहे हो। अनुभव है एक आन्तरिक प्रयोग।

Because so-called religions need beliefs. There is no other difference between one religion and another; the difference is only of beliefs. A Mohammedan has certain beliefs, a Hindu certain others, a Christian certain others. The difference is of beliefs. Yoga has nothing as far as belief is concerned; yoga doesn?t say to believe in anything. Yoga says experience. Just like science says experiment, yoga says experience. Experiment and experience are both the same, their directions are different. Experiment means something you can do outside; experience means something you can do inside. Experience iS an inside experiment

पूर्ण स्‍वप्‍न से आशा रहित हो जाओ। अगर कोई भविष्य नहीं बचता तो आशा भी नहीं बचती। बेशक यह कठिन है। सत्य का सामना करने के लिए बड़े साहस की जरूरत है। लेकिन देर—अबेर वह क्षण आता है। हर आदमी के जीवन में वह क्षण आता ही है, जब वह परिपूर्ण निराशा का अनुभव करता है। नितान्त अर्थहीनता का भाव घटित होता है उसके साथ। जब उसे बोध होता है कि वह जो कुछ कर रहा है, व्यर्थ है; जहां कहीं भी जा रहा है, कहीं पहुंच नहीं पा रहा है; कि सारा जीवन अर्थहीन है—तब अनायास ही आशाएं गिर जाती हैं, भविष्य खो जाता है और तब पहली बार वह वर्तमान के साथ लयबद्ध होता है। तब पहली बार सत्य से आमना—सामना होता है।

Become totally hopeless - no future, no hope. Difficult. Needs courage to face the real. But such a moment comes to everyone, some time or other. A moment comes to every human being when he feels total hopelessness. Absolute meaninglessness happens to him. When he becomes aware that whatsoever he is doing is useless, wheresoever he is going, he is going to nowhere, all life is meaningless - suddenly hopes drop, future drops, and for the first time you are in tune with the present, for the first time you are face to face with reality.

विश्वास आसान है क्योंकि उस में तुम्हे वास्तव में कुछ करना नहीं पड़ता। वह तो एक छिछला—सा पहरावा है, सज्जा है; जिस क्षण चाहो उसे अलग करके रख सकते हो। योग विश्वास नहीं है। इसलिए यह कठिन है, दुष्कर है और कई बार तो लगता है कि बिलकुल असंभव है। योग एक अस्तित्वगत प्रयोग है। तुम किसी विश्वास के द्वारा सत्य को नहीं पाओगे, बल्कि अपने ही अनुभव द्वारा पाओगे अपने ही बोध द्वारा उसे उपलब्ध करोगे। और इसका अर्थ हुआ कि तुम्हें आमूल स्‍वप्‍न से स्‍वपांतरित होना होगा। तुम्हारा दृष्टिकोण, तुम्हारे जीने का ढंग, तुम्हारा मन, तुम्हारे चित्त का पूरा ढांचा—यह सब जैसा है उसे चकनाचूर कर देना होगा। कुछ नये का सृजन करना होगा। उसी नवतत्व के साथ तुम यथार्थ के सम्पर्क मे आ सकोगे।

Belief is easy because you are not required really to do anything - just a superficial dressing, a decoration, something which you can put aside any moment you like. Yoga is not belief. That?s why it is difficult, arduous, and sometimes it seems impossible. It is an existential approach. You will come to the truth, but not through belief, but through your own experience, through your own realization. That means you will have to be totally changed. Your viewpoints, your way of life, your mind, your psyche has to be shattered completely as it is. Something new has to be created. Only with that new will you come in contact with the reality.

विश्वास तो कपड़ों की भांति हैं। किसी आधार भूत तत्व का स्‍वपांतरण नहीं होता तुम भीतर वही के वही बने रहते हो। जरा हिंदू और मुसलमान की चीर फाड़ कर के देखो, भीतर दोनो एक समान ही है। हिंदू मंदिर जाता है और मुसलमान मंदिर से नफरत करता है। मुसलमान मस्जिद जाता है और हिन्दू मस्जिद से नफरत करता है। लेकिन भीतर दोनो एक जैसे ही आदमी हैं।

Beliefs are like clothes. Nothing substantial is transformed; you remain the same. Dissect a Hindu, dissect a Mohammedan, inside they are the same. He goes to a temple; the Mohammedan hates the temple. The Mohammedan goes to the mosque and the Hindu hates the mosque, but inside they are the same human beings.

आनन्द का अर्थ है, एक परम मौन। और ऐसा मौन तभी संभव है जब भीतर लयबद्धता हो, जब सारे बेमेल टुकड़ो का मेल हो जाये, वे एक बन जायें जब भीड़ न रहे बल्कि केवल एक ही हो। जब भीतर घर में कोई न हो और तुम अकेले हो, तब तुम आनन्द से भर जाओगे। पर अभी तो हर एक तुम्हारे घर में है। तुम वहाँ हो नहीं, केवल मेहमान ही वहाँ है। मेंजबान तो सदा ही अनुपस्थित है। और केवल मेजबान आनन्द मय हो सकता है।

Bliss means absolute silence, and silence is possible only when there is harmony-when all the discordant fragments have become one, when there is no crowd, but one. When you are alone in the house and nobody else is there, you will be blissful. Right now everybody else is in your house, you are not there. Only guests are there, the host is always absent. And only the host can be blissful.

लेकिन पतंजलि इस पर रोक लगाते हैं। हालांकि यह बहुत कठिन है। ऐसी अवस्था में आज तक कोई भी स्वयं को नहीं रोक सका। जीसस, कृष्ण, बुद्ध, सभी काव्यमय हो गये। जब उसकी अपार भव्यता और उसका परम सौंदर्य तुम्हारे भीतर फूटता है, तो तुम नाच उठोगे, गाने लगोगे। उस अवस्था में तुम उस प्रेमी की तरह हो जो सारी सृष्टि के ही प्रेम में पड गया है।

But Patanjali resists that. It is very difficult. No one has been able to resist. Jesus, Krishna, Buddha they all become poetic. The splendor, the beauty, when it explodes within you, you will start dancing, you will start singing. In that state you are just like a lover who has fallen in love with the whole universe.

लेकिन नींद यदि उस समय टूटे जब तुम सपने देख रहे हो तब सुबह तुम स्वयं को बिलकुल थका हुआ और निढाल—सा पाओगे।

But while you are dreaming, if your dream is disturbed then in the morning you will feel completely tired and exhausted.

'अब योग का अनुशासन।' एक—एक शब्द को ठीक से समझना है, क्योंकि पतंजलि एक भी अनावश्यक शब्द का प्रयोग नहीं करते।' अब योग का अनुशासन।' पहले 'अब' शब्द को समझने का प्रयत्न करें। यह 'अब' मन की उसी अवस्था की ओर संकेत करता है, जिसकी बात मैं तुमसे कह रहा था।

First try to understand the word "now". This "now" indicates to the state of mind I was just talking to you about.

यदि तुम एक ही आसन में ठहर सकते हो तो शरीर गुलाम, सेवक बन जायेगा फिर वह तुम्हारा अनुगमन करेगा। शरीर जितना अधिक तुम्हारा अनुगमन करेगा, उतना ही अधिक शक्तिपूर्ण और विराट बनेगा तुम्हारे भीतर का अस्तित्व। और इसे ध्यान में रखना कि तुम्हारे शरीर में गति नहीं होती तो तुम्हारा मन भी गतिमय नहीं हो सकता। क्योंकि शरीर और मन कोई अलग—अलग चीजें नहीं हैं। वे एक ही घटना के दो छोर हैं। तुम शरीर और मन नहीं हो, तुम हो शरीर—मन। तुम्हारा व्यक्तित्व मनोशरीर है, साइकोसोमैटिक है, एक साथ शरीर और मन दोनों है। मन शरीर का सबसे सूक्ष्म हिस्सा है और तुम इससे विपरीत भी कह सकते हो : शरीर सबसे स्थूल हिस्सा है मन का।

If you can remain in one posture, the body will become a slave; it will follow you. And the more the body follows you, you will have a greater being within you, a stronger being within you. And, remember, if the body is not moving your mind cannot move, because mind and body are not two things. They are two poles of one phenomenon. You are not body and mind, you are body-mind. Your personality is psychosomatic - body-mind both. The mind is the most subtle part of the body. Or you can say the reverse, that body is the most gross part of the mind.

यदि तुम्हारी नींद में उस समय बाधा आये जब तुम स्‍वप्‍नरहित गहरी नींद में सो रहे हो, तो सुबह तुम ऐसा अनुभव नहीं करोगे कि कहीं कुछ खोया है।

If your sleep is disturbed while you are deeply asleep without dreaming, in the morning you will not feel that you have missed anything.

पुराने समय में समझा जाता था कि नींद जीवन की बड़ी जरूरत है।

In old days it was understood that sleep is a necessity

आरम्भ में तुम गहरी नींद में उतर जाते हो, कोई चालीस या पैंतालीस मिनट के लिए।

In the beginning you fall into deep sleep for nearabout forty, forty-five minutes.

रात कुछ समय होता है गहरी नींद का और कुछ समय होता है सपनों का।

In the night there are periods - periods for deep sleep and periods for dreaming.

कई व्यक्ति योग में उत्सुक होते हैं, लेकिन बहुत कम लोग ही योग में प्रवेश कर पाते हैं। क्योंकि तुम्हारी रुचि भी मन के कारण ही बनती है। शायद तुम आशा बनाते हो कि अब योग के द्वारा तुम कुछ पा लोगे; कुछ पाने का प्रयोजन तो बना ही रहता है। तुम सोचते हो कि शायद योग तुम्हें एक सम्पूर्ण योगी बना देगा; तुम आनंदपूर्ण अवस्था तक पहुंच जाओगे; तुम ब्रह्म में लीन हो जाओगे; शायद तुम्हें सच्चिदानंद—अस्तित्व, चैतन्य और परमानंद मिल जाये! और अगर यही बातें योग में रस लेने का, अभिरुचि बनाने का कारण है तो कभी भी तुम्हारा मिलन उस पथ से नहीं हो सकता, जिसे योग कहते हैं। इस मनोदशा में तो तुम इस मार्ग के पूर्णत: विरुद्ध हो; तो तुम बिलकुल ही विपरीत दिशा में चल रहे हो।

So many become interested, but very few enter because your interest may be just because of your mind. You may be hoping now, through yoga, that you may gain something, but the achieving motive is there-you may become perfect through yoga, you may reach to the blissful state of perfect being, you may become one with the brahman, you may achieve the satchitananda. This may be the cause why you are interested in yoga. If this is the cause then there can be no meeting between you and the path which is yoga. Then you are totally against it, moving in a totally opposite dimension.

इसलिए योग के मार्ग में वही प्रवेश कर सकता है जो अपने मन से जैसा वह है, बिलकुल थक गया हो, निराश हो गया हो। यदि तुम अब भी आशा किये चले जा रहे हो कि तुम मन द्वारा कुछ न कुछ पा लोगे, तो योग का यह पथ तुम्हारे लिए नहीं है। समग्र पराजय का भाव चाहिए इस सत्य का रहस्योद्घाटन कि यह मन जो आशाओं को पक्के रखता है, यह मन जो प्रक्षेपण करता है, यह व्यर्थ है; यह निरर्थक है और यह कहीं नहीं ले जाता। यह मन तुम्हारी आख बंद कर देता है, तुम्हें मूर्च्छित करता है और कभी भी सत्य तुम्हें प्रगट हो सके इसका कोई मौका नहीं देता। यह मन तुम्हें सत्य से बचाता है।

So one can enter yoga, or the path of yoga, only when he is totally frustrated with his own mind as it is. If you are still hoping that you can gain something through your mind, yoga is not for you. A total frustration is needed - the revelation that this mind which projects is futile, the mind that hopes is nonsense, it leads nowhere. It simply closes your eyes; it intoxicates you; it never allows reality to be revealed to you. It protects you against reality.

यही है सत्संग का मतलब। तुमने सत्संग शब्द को सुना है। इस शब्द का प्रयोग बिलकुल गलत किया जाता है। सत्संग का अर्थ है सत्य का गहरा सान्निध्य। इसका अर्थ है सत्य के पास होना, सद्गुरु के पास होना, जो कि सत्य के साथ ख्याल हो चुका हो। बस, सद्गुरु के निकट बने रहना खुले हुए, ग्रहणशील और प्रतीक्षारत। और यदि तुम्हारी प्रतीक्षा गहरी और सघन हो जाती है तब एक गहन आत्म—मिलन घटित होगा।

That is the meaning of SATSANG. You have heard the word SATSANG. It is totally wrongly used. Satsang means in close proximity of the truth; it means near the truth, it means near a Master who has become one with the truth - just being near him, open, receptive and waiting. If your waiting has become deep, intense, a deep communion will happen.

सद्गुरु कुछ कर नहीं रहा। बस वह वहां है, मौजूद, उपलब्ध। यदि तुम खुले हो तो वह तुममें प्रवाहित हो जायेगा। यह प्रवाहित होना ही सत्संग कहलाता है। सद्गुरु के साथ तुम्हें कुछ और सीखने की आवश्यकता नहीं है। यदि तुमने सत्संग सीख लिया, उतना काफी है। यदि तुम सद्गुरु के निकट रह सकते हो बिना कुछ पूछे, बिना सोच—विचार के, बिना तर्क के, बस, गुरु के निकट उपस्थित हो, प्राप्य हो, तो सद्गुरु का आत्म—अस्तित्व तुममें प्रवाहित हो सकता है। और आत्म—अस्तित्व प्रवाहित हो सकता है। वह तो प्रवाहित हो ही रहा है। जब कोई व्यक्ति अखंडता प्राप्त कर लेता है, तब उसका अस्तित्व एक विकिरण, रेडिएशन बन जाता है।

The Master is not going to do anything. He is simply there, available. If you are open, he will flow within you. This flowing is called SATSANG. With a Master you need not learn anything else. If you can learn satsang, that?s enough - if you can just be near him without asking, without thinking, without arguing: just present there, available, so the being of the Master can flow in you. And being can flow. It is already flowing. Whenever a person achieves integrity, his being becomes a radiation.

और इसके लिए मन को गहराई से समझना होगा—उस मन को जिसे झूठ की जरूरत है, जिसे भ्रांतियां चाहिए उस मन को जो सत्य के साथ नहीं जी सकता; मन जिसे सपनों की बड़ी जरूरत है।

The mind has to be understood deeply - the mind which needs lies, the mind which needs illusions, the mind which cannot exist with the real, the mind which needs dreams.

वर्तमान तो लगभग हमेशा नरक जैसा है। तुम उसके साथ जी लेते हो तो उन आशाओ के सहारे ही, जिन्हें तुमने भविष्य में प्रक्षेपित कर रखा है। तुम आज जी लेते हो, आने वाले कल के भरोसे। तुम आशा किये चले जा रहे हो कि कल कुछ न कुछ घटित होगा कि कल किसी न किसी स्‍वर्ग के द्वार खुलेगे। वे आज तो हरगिज नहीं खुलते। और कल जब आता है तो वह कल की तरह नही आता; वह 'आज' की तरह आता है। पर तब तक तुम्हारा मन फिर से कहीं और आगे बढ़ चुका होता है। तुम अपने से भी आगे दौड़ते चले जाते हो यही है सपनों का अर्थ। तुम यथार्थ से तो एकात्म नहीं हो, वह जो कि पास है, वह जो यहां और अभी उपस्थित है। तुम कहीं और हो, आगे गतिमान—आगे कूदते—फांदते!

The present is almost always a hell. You can prolong it only because of the hope that you have projected into the future. You can live today because of the tomorrow. You are hoping something is going to happen tomorrow - some doors of paradise will open tomorrow. They never open today, and when tomorrow will come it will not come as a tomorrow, it will come as today, but by the time your mind has moved again. You go on moving ahead of you: this is what dreaming means. You are not one with the real, that which is nearby, that which is here and now, you are somewhere else - moving ahead, jumping ahead.

सारी रात यह क्रम चलता है।

The whole night this goes on.

फिर स्‍वप्‍नहीन निद्रा आ जाती है, और उसके बाद फिर से सपनों का आना शुरू हो जाता है।

Then again dreamless sleep, then again dreaming.

फिर स्‍वप्‍नवस्‍था प्रारम्भ होती है और तुम सपने देखने लगते हो।

Then the dream phase comes in, then you dream.

अनेकों शोधकर्ताओं ने प्रमाणित कर दिया है कि मनुष्य का मन सपनों पर ही पलता है। यद्यपि सपना पूर्णत एक स्वचालित वचना है। फिर यह सपनों की बात केवल रात के विषय में ही सच नहीं है; जब तुम जागे हुए होते हो तब भी मन में कुछ ऐसी ही प्रक्रिया चलती रहती है। दिन में भी तुम अनुभव कर सकते हो कि किसी समय मन में स्वप्न तैर रहे होते है और किसी समय स्वप्न नहीं होते है।

Many researchers have proved that human mind feeds on dreams, dream is a necessity, and dream is total autodeception. And this is not only so in the night: while awake also the same pattern follows; even in the day you can notice. Sometimes there will be dream floating in the mind, sometimes there will be no dreams.

सेवा करना जरूर उसका आदर्श रहा होगा। बुद्ध ने उसकी तरफ देखा और वे मौन ही रहे। बुद्ध के शिष्य आनन्द ने कहा, यह आदमी सच्चा जान पड़ता है। इसे राह दिखाइए। आप चुप क्यों हैं? तब बुद्ध ने उस क्रांतिकारी से कहा, 'तुम संसार की सेवा करना चाहते हो, लेकिन तुम हो कहा? मैं तुम्हारे भीतर किसी को नही देख रहा। मैं देखता हूं और वहाँ कोई नहीं है।

Service must have been his motto. Buddha looked at him and remained silent. Buddha?s disciple, Ananda, said, "This man seems to be sincere. Guide him. Why you are silent?" Then Buddha said to that revolutionary, "You want to serve the world, but where are you? I don?t see anyone inside. I look in you, there is no one.

नींद की जरूरत है, ताकि तुम सपने देख सको।

Sleep is needed only so that you can dream.

दिन में जब सपने चल रहे है और अगर तुम कुछ कर रहे हो तो तुम अनुपस्थित—से होओगे क्योंकि कही भीतर तुम व्यस्त हो। उदाहरण के लिए, तुम यहाँ हो यदि तुम्हारा मन स्वप्निल दशा में से गुजर रहा है, तो तुम मुझे सुनोगे बिना कुछ सुने क्योंकि मन भीतर व्यस्त है। और अगर तुम ऐसी स्वप्निल दशा में नहीं हो, तो ही केवल तुम मुझे सुन सकते हो।

When there are dreams you will be doing something, but you will be absent. Inside you are occupied. For example, you are here. If your mind is passing through a dream state, you will listen to me without listening at all, because your mind will be occupied within. If you are not in a dreaming state, only then you can listen to me.

एक आवर्तन है, एक लय है। जैसे रात और दिन के आने जाने की एक लय है।

There is a rhythm - just like day and night, there is a rhythm.

इस केंद्रीयकरण की प्रक्रिया को ही पतंजलि ने अनुशासन कहा है—अनुशासनम् डिसिप्लिन। यह डिसिप्लिन शब्द बहुत सुंदर है। यह उसी जड़, उसी उद्गम से आया है जहां से डिसाइपल शब्द आया। अनुशासन काम तलब है सीखने की क्षमता, जानने की क्षमता। किन्तु तब तक तुम नहीं जान सकते, नहीं सीख सकते, जब तक तुम स्‍व—केद्रित न हो जाओ।

This centering Patanjali calls discipline - ANUSHASANAM. The word "discipline" is beautiful. It comes from the same root from where the word "disciple" comes. "Discipline" means the capacity to learn, the capacity to know. But you cannot know, you cannot learn, unless you have attained the capacity to be.

इस बात को बहुत गहरे में समझने की जरूरत है, क्योंकि इसे समझे बिना उस अन्वेषण में नहीं उतरा जा सकता जिसे योग कहते हैं।

This has to be understood very deeply because without understanding it, there can be no entry into the inquiry which is called yoga.

यह जो मन है वह योग के पथ पर प्रवेश नहीं कर सकता क्योंकि योग सत्य को उद्घाटित करने की एक पद्धति है। योग तो एक विधि है स्‍वप्‍नविहीन मन तक पहुंचने की। योग विज्ञान है—अभी और यहां होने का। योग का अर्थ है कि अब तुम तैयार हो कि भविष्य की कल्पना न करोगे। इसका अर्थ है कि तुम्हारी वह अवस्था है कि अब तुम न आशाएं बांधोगे और न स्वयं की सत्ता से, वर्तमान क्षण से आगे छलांग लगाओगे। योग का अर्थ है. सत्य का साक्षात्कार—जैसा वह है।

This mind cannot enter on the path of yoga because yoga means a methodology to reveal the truth. Yoga is a method to come to a non-dreaming mind. Yoga is the science to be in the here and now. Yoga means now you are ready not to move into the future. Yoga means you are ready now not to hope, not to jump ahead of your being. Yoga means to encounter the reality as it is.

पतंजलि का पहला सूत्र इसी क्षण की ओर संकेत करता है। इससे पहले कि इस प्रथम सूत्र पर चर्चा हो, कुछ और बातें समझ लेनी होंगी। पहली बात, योग कोई धर्म नहीं है, यह बात स्मरण रहे। योग हिन्दू नहीं है, मुसलमान नहीं है। योग तो एक विशुद्ध वितान है—गणित, फिजिक्स या कैमिस्ट्री की तरह। फिजिक्स न तो ईसाई है और न बौद्ध। चाहे ईसाइयों द्वारा ही फिजिक्स के नियमों की खोज की गयी हो, लेकिन फिर भी इस विज्ञान को ईसाई नहीं कहा जा सकता। यह संयोग मात्र है कि ईसाइयों ने फिजिक्स के नियमों का अन्वेषण किया। भौतिकी वितान तो मात्र वितान है। और योग भी मात्र एक विज्ञान है। यह फिर एक संयोगपूर्ण घटना ही है कि हिंदुओं ने योग को खोजा। लेकिन इससे यह हिन्दू तो न हुआ। यह तो एक विशुद्ध गणित हुआ आंतरिक अस्तित्व का। इसलिए एक मुसलमान भी योगी हो सकता है; ईसाई भी योगी हो सकता है। इसी तरह एक जैन, एक बौद्ध भी योगी हो सकता है।

This moment is indicated by the first sutra of Patanjali. Before we talk about the first sutra, a few other things have to be understood. First, yoga is not a religion-remember that. Yoga is not Hindu, it is not Mohammedan. Yoga is a pure science just like mathematics, physics or chemistry. Physics is not Christian physics is not Buddhist. If Christians have discovered the laws of physics, then too physics is not Christian. It is just accidental that Christians have come to discover the laws of physics. But physics remains just a science. Yoga is a science - it is just an accident that Hindus discovered it. It is not Hindu. It is a pure mathematics of the inner being. So a Mohammedan can be a yogi, a Christian can be a yogi, a Jain, a bauddha can be a yogi.

पास होने का अर्थ है कि अब तुम्हारा कोई अपना क्षेत्र न बचा। पास होने का अर्थ है कि अब तुम कोमल और असुरक्षित हो। इसका अर्थ है कि अब चाहे कुछ भी हो जाये, तुम किसी तरह की सुरक्षा की बात सोच ही नहीं रहे।

To be close means now no territory of your own. To be close means to be vulnerable, to be close means whatsoever happens you are not thinking in terms of security.

परिपूर्ण निराशा की जरूरत है। ऐसी निराशा को ही बुद्ध ने दुख कहा है। और अगर सचमुच ही तुम्हें दुख है, तो आशा मत बनाओ, क्योंकि तुम्हारी आशा दुख को और आगे बढ़ा देगी। तुम्हारी आशा एक नशा है जो तुम्‍हें और कहीं नहीं, केवल मृत्यु तक जाने में सहायक हो सकती है। तुम्हारी सारी आशाएं तुम्हें केवल मृत्यु में पहुंचा सकती है। वे तुम्हें वहीं ले ही जा रही हैं।

Total despair is needed. That despair is called dukkha by Buddha. And if you are really in misery, don?t hope, because your hope will only prolong the misery. Your hope is a drug. It can help you to reach death only and nowhere else. All your hopes can lead you only to death. They are leading.

जब तक तुम्हारे लिए यह क्षण न आये तब तक कितने ही योगासन किये चले जाओ लेकिन वह योग नहीं है। योग तो अंतस की ओर मुड़ना है। यह पूरी तरह विपरीत मुड़ना है। जब तुम भविष्य में गति नहीं कर रहे हो, जब तुम अतीत में नहीं भटक रहे हो, तब तुम अपने भीतर की ओर गतिमान होने लगते हो, क्योंकि तुम्हारा अस्तित्व अभी और यहीं है, वह भविष्य में नहीं है। तुम अभी और यहां उपस्थित हो— अब तुम यथार्थ में प्रविष्ट हो सकते हो। तब मन का इसी क्षण में उपस्थित रहना जरूरी है।

Unless this moment comes to you... You can go on doing asanas, postures; that is not yoga. Yoga is an inward turning. It is a total about-turn. When you are not moving into the future, not moving toward the past, then you start moving within yourself - because your being is here and now, it is not in the future. You are present here and now, you can enter this reality. But then mind has to be here.

अभी तक तो तुम एक अव्यवस्था, एक भीड़ की तरह जिये। योग का मतलब है कि अब तुम्हें लयबद्धता बनना होगा, तुम्हें 'एक' बनना होगा। एक जुट होने की आवश्यकता है, केंद्रीकरण की आवश्यकता है। और जब तक तुम केंद्र नहीं पा लेते, जो कुछ भी तुम करते हो वह व्यर्थ है। जीवन और समय का बेकार विनष्ट होना है। पहली आवश्यकता है केंद्रबिंदु। और जिसके पास यह केंद्र है वही व्यक्ति आनंदित हो सकता है। हर व्यक्ति आनंद की मांग करता है। लेकिन तुम मांग नहीं कर सकते। इसे तो तुम्हें अर्जित करना होगा। अंतस की आनंद अवस्था के लिए सब लालायित रहते हैं, लेकिन केवल केंद्रस्थ व्यक्ति ही आनंदित हो सकता है। भीड़ तो कैसे आनंद मय हो सकती है। भीड़ का तो कोई व्यक्तित्व नहीं है। वहां कोई आत्मा नहीं, इसलिए आनंदमय हो जाता कौन?

Up until now you have lived as a chaos, a crowd. Yoga means now you will have to be a harmony, you will have to become one. A crystallization is needed; a centering is needed. And unless you attain a center, all that you do is useless. It is wasting life and time. A center is the first necessity, and only a person can be blissful who has got a center. Everybody asks for it, but you cannot ask. You have to earn it! Everybody hankers for a blissful state of being, but only a center can be blissful. A crowd cannot be blissful, a crowd has got no self. There is no atman. Who is going to be blissful.

हम एक गहरी भ्रांति में जीते हैं—आशा की भांति में, किसी आने वाले कल की, भविष्य की भ्रांति में।

We live in a deep illusion - the illusion of hope, of future, of tomorrow.

अनुशासन क्या है? अनुशासन का अर्थ है अपने भीतर एक व्यवस्था निर्मित करना। जैसे तुम हो, तुम एक अराजकता हो। जैसे कि तुम हो, पूरी तरह अव्यवस्थित—से हो—गुरजिएफ कहा करते थे। और गुरजिएफ की बहुत—सी बातें पतंजलि की भांति हैं। उन्होंने भी धर्म के मर्म को विज्ञान बनाने का प्रयास किया। गुरजिएफ कहा करते थे तुम एक नहीं हो, तुम भीड़ हो। जब तुम कहते हो 'मैं', तो कोई मैं होता नहीं। तुम्हारे भीतर अनेक 'मैं' अनेक अहं हैं। सुबह कोई एक 'मैं' है, दोपहर कोई और 'मैं' है और शाम कोई तीसरा ही 'मैं' होता है। लेकिन इस गड़बड़ी के प्रति तुम कभी सचेत भी नहीं होते। क्योंकि सचेत होगा भी कौन? कोई अंतस केंद्र ही नहीं है, जिसे इसका बोध हो पाये।

What is discipline? Discipline means creating an order within you. As you are, you are a chaos. As you are, you are totally disorderly. Gurdjieff used to say - and Gurdjieff is in many ways like Patanjali: he was again trying to make the core of religion a science - Gurdjieff says that you are not one, you are a crowd, not even when you say "I", there is any "I". There are many "I?s" in you, many egos. In the morning, one "I"; in the afternoon, another "I"; in the evening, a third "I", but you never become aware of this mess because who will become aware of it? There is not a center who can become aware.

जब सुबह उठते हो तो पछताते हो। सोचते हो कि यह अच्छा नहीं हुआ; तुम्हें जल्दी ही उठ जाना चाहिए था। तुम फिर निर्णय लेते हो कि कल तुम चार बजे ही उठोगे। लेकिन कल भी यही कुछ होने वाला है क्योंकि जिसने प्रतिज्ञा की वह सुबह चार बजे वहां होता नहीं, कोई दूसरा ही उसकी जगह आ बैठता है। तुम रोटरी क्लब की भांति हो। चेयरमैन निरंतर बदलता रहता है। तुम्हारा हर हिस्सा रोटरी चेयरमैन बन जाता है। यह चक्र चल रहा है, हर घडी कोई और ही प्रधान बन जाता है।

When you get up you repent. And you think, "This is not good. I should have done it." You decide again that "Tomorrow I will do;" and the same is going to happen tomorrow because at four in the morning the one who promised is no more there, somebody else is in the chair. And you are a Rotary Club: the chairman goes on changing. Every member becomes a rotary chairman. Rotation is there. Every moment someone else is the master.

वह प्रवाह भाषा के द्वारा बने संप्रेषण से, तुम्हारे साथ हुई किसी भी मानसिक भेंट से बहुत गहरा है। जब तुम्हारा मन सुनने में संलग्न है, तब यह मिलन, यह संप्रेषण घटित होता है। यदि तुम शिष्य हो, यदि तुम एक अनुशासित व्यक्ति हो, यदि तुम्हारा मन मुझे सुनने में संलग्न है, तुम्हारी अंतस सत्ता सत्संग में हो सकती है। तब तुम्हारा सिर व्यस्त रहता है और हृदय खुला रहता है, तब एक गहरे तल पर मिलन घटित होता है। वही मिलन सत्संग है। और दूसरी बातें तो बस बहाने हैं, सद्गुरु के निकट होने के।

While your mind is engaged, if you are a disciple, if you are a disciplined being, your mind is engaged in listening to me, your being can be in SATSANG. Then your head is occupied, your heart is open. Then on a deeper level, a meeting happens. That meeting is satsang, and everything else is just an excuse, just to find ways to be close to the Master.

हम निकट क्यों नहीं होते? क्योंकि डर रहता है। बहुत नजदीक होना खतरनाक हो सकता है, बहुत खुला होना खतरनाक हो सकता है क्योंकि तब तुम अति संवेदनशील हो जाते हो और तब स्वयं का बचाव करना मुश्किल हो जायेगा। इसलिए एक सुरक्षा के उपाय की तरह हम हर व्यक्ति से एक खास दूरी बनाये रखते हैं।

Why we are not close? Because there is fear. Too close may be dangerous, too open may be dangerous, because you become vulnerable and then it will be difficult to defend. So just as a security measure we keep everybody, never allow to enter a certain distance.

योग तुम्हारे समग्र अस्तित्व से, तुम्हारी जड़ों से संबंधित है। वह दार्शनिक नहीं है। इसलिए पतंजलि के साथ हम चिंतन—मनन नहीं करेंगे। पतंजलि के साथ तो हम जीवन के और उसके स्‍वपांतरण के परम नियमों को जानने का प्रयत्‍न करेंगे। पुराने की मृत्यु और सर्वथा नये के जन्म के नियमों को और अंतस की एक नव लयबद्धता की कीमिया को जानने का प्रयत्न हम करेंगे। इसलिए मैं योग को एक विज्ञान कहता हूं।

Yoga is concerned with your total being, with your roots. It is not philosophical. So with Patanjali we will not be thinking, speculating. With Patanjali we will be trying to know the ultimate laws of being: the laws of its transformation, the laws of how to die and how to be reborn again, the laws of a new order of being. That is why I call it a science.

योग दर्शन—शास्र नहीं है। मैंने कहा, योग धर्म नहीं है। मैं यह भी कहता हू कि योग दर्शन—शास्र नहीं है। यह कोई ऐसी बात नहीं जिसके बारे में तुम कुछ विचार करो। यह कुछ ऐसा है जैसा कि तुम्हें होना होगा। केवल सोचने—विचारने से कुछ नहीं होगा। विचार तो तुम्हारे मस्तिष्क में चलता रहता है, यह तुम्हारे अस्तित्व की जड़ों में कहीं गहरे नहीं होता। विचार तुम्हारी समग्रता नहीं है। यह तो मात्र एक हिस्सा है, एक कामचलाऊ हिस्सा; और इसे प्रशिक्षित किया जा सकता है। तुम तर्कपूर्ण ढंग से विवाद कर सकते हो, युक्‍तिपूर्ण विचार कर सकते हो, लेकिन तुम्हारा हृदय तो वैसा का वैसा ही बना रहेगा। तुम्हारा हृदय गहनतम केंद्र है, सिर तो उसकी शाखा मात्र है। तुम मस्तिष्क के बिना तो हो सकते हो, लेकिन हृदय के बिना नहीं हो सकते। तुम्हारा मन आधारभूत तत्व नहीं है।

Yoga is not a philosophy. I say it is not a religion, I say it is not a philosophy. It is not something you can think about. It is something you will have to be; thinking won?t do. Thinking goes on in your head. It is not really deep into the roots of your being; it is not your totality. It is just a part, a functional part; it can be trained. And you can argue logically, you can think rationally, but your heart will remain the same. Your heart is your deepest center, your head is just a branch. You can be without the head, but you cannot be without the heart. Your head is not basic.

योग तो शुद्ध विज्ञान है। और जहां तक योग—विज्ञान की बात है पतंजलि इस क्षेत्र के सबसे बड़े नाम हैं। यह पुरुष विरल है। किसी अन्य की पतंजलि के साथ तुलना नहीं की जा सकती। मनुष्यता के इतिहास में धर्म को पहली बार वितान की अवस्था तक लाया गया। पतंजलि ने धर्म को मात्र नियमों का विज्ञान बना दिया, जहां विश्वास की जरूरत नहीं है।

Yoga is pure science, and Patanjali is the greatest name as far as the world of yoga is concerned. This man is rare. There is no other name comparable to Patanjali. For the first time in the history of humanity, this man brought religion to the state of a science: he made religion a science, bare laws; no belief is needed.

तुम यहां हो और मैं पतंजलि के सूत्रों पर बोलूंगा, लेकिन वह एक बहाना है। यदि तुम सच में ही यहां हो तब यह प्रवचन, यह बोलना, यह तो तुम्हारे यहां होने का बहाना मात्र ही है। यदि तुम सच में ही यहां हो तो सत्संग आरम्भ होने लगता है। मैं प्रवाहित हो सकता हूं और वह प्रवाह किसी भी बातचीत से कहीं अधिक गहरा है।

You are here and I will talk on Patanjali?s sutras. That is just an excuse. If you are really here, then the discourse, the talk, becomes just an excuse for your being here, for you to be here. And if you are really here, satsang starts. I can flow, and that flow is deeper than any talk, any communication through language, than any intellectual meeting with you.

तुम आत्मस्थ नहीं हो। तुम एक सतत कंपित ज्वरग्रस्त हलचल हो। पतंजलि के बताये आसन किसी शारीरिक प्रशिक्षण से खास संबंधित नहीं है, बल्कि वे एक आंतरिक प्रशिक्षण से संबंधित हैं कि बस, होना; कि बिना कुछ किये, बिना किसी गति के, बिना किसी हलचल के बस, ठहर जाओ। यह ठहरना अंतस के केंद्रीयकरण में सहायक होगा

You are not a being, you are a trembling - a continuous hectic activity. Patanjali?s asanas, postures, are concerned not really with any kind of physiological training, but an inner training of being, just to be - without doing anything, without any movement, without any activity, just remain. That remaining will help centering.

तुम मालिक नहीं हो। शरीर से नहीं कह सकते कि ' अब एक घंटे तक मैं नहीं हिलूंगा।' शरीर तो तत्काल विद्रोह कर देगा। उसी पल तुम्हें वह मजबूर करेगा हिलने के लिए, कुछ करने के लिए। और वह तुम्हें कारण भी देगा कि 'तुम्हें हिलना ही है क्योंकि एक कीड़ा काट रहा है, वगैरह—वगैरह।' तुम उस कीड़े को जब देखने जाओ तो हो सकता है उसे ढूंढ भी न पाओ।

You are not a master. You cannot say to the body, "Now for one hour I will not move." The body will revolt immediately. Immediately it will force you to move, to do something, and it will give reasons: "You have to move because an insect is biting." You may not find the insect when you look.

तुम केवल रात में ही सपने नहीं देखते; तुम तो जब जाग रहे हो तब भी लगातार सपने ही देखे चले जाते हो।

You are not dreaming only in the night. Even while awake, you are dreaming continuously.

तुम अतीत में जी सकते हो, क्योंकि वह भी स्‍वप्‍नवत है : उन बातों की स्मृतिया, यादें, जो अब नहीं हैं। और या तुम भविष्य में जी सकते हो, लेकिन वह भी एक प्रक्षेपण है, यह फिर अतीत में से ही कुछ निर्मित करना है। भविष्य कुछ और नही, वरन अतीत की ही प्रति छबि है—ज्यादा रंगीन, ज्यादा सुंदर, ज्यादा खुशनुमा, लेकिन वह है तो अतीत का ही एक परिष्कृत स्‍वप्‍न।

You can be in the past because again that is dreaming - memories, remembrance of things which are no more Or you can be in the future, which is projection, which is again creating something out of the past. The future is nothing but past projected again - more colorful, more beautiful, more pleasant, but it is past refined.

तुम्हारा मन एक नशा है। जो है—मन उसके विरुद्ध है। इसलिए जब तक तुम अपने मन को, अपने अब तक के होने के ढंग को पूरी तरह व्यर्थ हुआ न जान लो; जब तक इस मन को तुम बेशर्त छोड़ न सको, तब तक तुम योग—मार्ग में प्रवेश नहीं कर सकते।

Your mind is a drug. It is against that which is. So unless you are totally frustrated with your mind, with your way of being, the way you have existed up to now, if you can drop it unconditionally, then you can enter on the path.

लेकिन अब आधुनिक खोजें कहती हैं कि नींद सचमुच कोई बड़ी जरूरत नहीं है।

but now modern research says sleep is not really a necessity.

पहला सूत्र है: अब योग का अनुशासन। 'अथ योगानुशासनम्।'

he first sutra: NOW THE DISCIPLINE OF YOGA - Athayoganushasanam.

उसे चाहिए सपने, भ्रांतियां; उसे कई तरह के झूठ चाहिए जीने के लिए।

he needs dreams, he needs illusions, he needs lies to exist.

यदि तुम्हें नींद में सपने न देखने दिया जाए, तो सुबह तुम अपने को ताजा और जीवंत नहीं पाओगे।

If you are not allowed to dream and allowed to sleep, you will not feel in the morning fresh, alive.

और नीत्से ने जो यह कहा है, वह सच है।

And Nietzsche is true.

यदि तुम पतंजलि का अनुगमन करो तो तुम पाओगे कि वे गणित के फार्मूले जैसी ही सटीक बात कहते हैं। तुम वैसा करो जैसा वे कहते है और परिणाम निकलेगा ही; ठीक दो और दो चार की तरह निश्‍चित। यह घटना उसी तरह निश्चित ढंग से घटेगी जैसे पानी को सौ डिग्री तक गर्म करें तो वाष्प बन उड़ जाता है। किसी विश्वास की कोई जरूरत नहीं है। बस, तुम उसे करो और जानो। यह कुछ ऐसा है जिसे करके ही जाना जा सकता है। इसलिए मैं कहता हूं कि पतंजलि बेजोड़ है। इस पृथ्वी पर पतंजलि जैसा दूसरा कोई नहीं हुआ।

And if you follow Patanjali, you will come to know that he is as exact as any mathematical formula. Simply do what he says and the result will happen. The result is bound to happen; it is just like two plus two, they become four. It is just like you heat water up to one hundred degrees and it evaporates. No belief is needed: you simply do it and know. It is something to be done and known. That?s why I say there is no comparison. On this earth, never a man has existed like Patanjali.

उस कल को, उस भविष्य को तुमने कई—कई नाम दे रखे है। कुछ लोग उसे स्वर्ग कहते है, कुछ मोक्ष कहते हैं। लेकिन यह सदा भविष्य में है। कोई धन के बारे में सोच रहा है, पर वह धन भी भविष्य में ही मिलने वाला है। कोई स्वर्ग की आकांक्षा में खोया हुआ है, पर वह स्वर्ग मृत्यु के उपरांत ही आने वाला है। स्वर्ग है दूर, सुदूर किसी भविष्य में। जो नहीं है उसी के लिए तुम अपना वर्तमान खोते हो—यही है स्‍वप्‍न में जीने का अर्थ। तुम अभी और यहीं नहीं हो सकते। इस क्षण में होना दु:साध्य प्रतीत होता है।

And that tomorrow, that future, you have named it in so many ways. People call it heaven, some people call it moksha, but it is always in the future. Somebody is thinking in terms of wealth, but that wealth is going to be in the future. And somebody is thinking in terms of paradise, and that paradise is going to be after you are dead - far away into the future. You waste your present for that which is not: this is what dreaming means. You cannot be here and now. That seems to be arduous, to be just in the moment.

पास होना ही सब कुछ है। लेकिन केवल शिष्य ही पास हो सकता है। कोई भी या हर कोई पास नहीं आ सकता। क्योंकि जुड़ाव का, पास आने का मतलब है एक प्रेम—भरा भरोसा।

Closeness is all, but only a disciple can be close. Anybody and everybody cannot be close. Closeness means a loving trust.

मन लगातार सपने, स्‍वप्‍न और कल्पनाएं बनाता जा रहा है।

Continuously, the mind is creating dreams, images, fantasies.

मन दिन—रात इन्हीं अवस्थाओं के बीच डोलता रहता है—गैर—स्वप्न से स्‍वप्‍न में, फिर स्‍वप्‍न से गैर—स्वप्न में। यह एक आंतरिक लय है। इसलिए ऐसा नहीं है कि हम सिर्फ रात्रि में ही निरंतर सपने देखते है, जीवन में भी हम अपनी आशाओं को भविष्य की और प्रक्षेपित करते रहते है।

Day, night, mind goes on moving from no-dream to dream, then from dream to no-dream again. This is an inner rhythm. Not only that we continuously dream, in life also we project hopes into the future.

सपने जस्‍वरी हैं।

Dream is the necessity.

प्रत्येक व्यक्ति के आस—पास एक अपना क्षेत्र होता है। और जब कोई तुम्हारे उस क्षेत्र में प्रवेश करता है, तुम भयभीत हो जाते हो। हर व्यक्ति के पास बचाव के लिए बनाया फासला है। तुम अकेले अपने कमरे में बैठे हो और एक अजनबी कमरे में दाखिल होता है। तब जरा ध्यान देना कि तुम सचमुच डर जाते हो। एक सीमाबिन्‍दु है। यदि वह व्यक्ति उस बिन्दु तक पहुंच जाये या उसके पार पहुंच जाये तो तुम आशंकित हो उठेने, भयभीत हो जाओगे। अचानक एक कंपन महसूस करने लगोगे। वह आदमी एक खास सीमाबिन्‍दु तक ही आ सकता है।

Everybody has a territory around him. Whenever somebody enters your territory you become afraid. Everybody has a space to protect. You are sitting alone in your room. A stranger enters in the room. Just watch when you become really scared. There is a point. If he enters that point, beyond that point, you will become scared, you will be afraid. A sudden trembling will be felt. Beyond a certain territory he can move.

गुरजिएफ कहा करते थे कि मनुष्य का प्रमुख अभिलक्षण यही है कि वह प्रतिज्ञा नहीं कर सकता। तुम वचन पूरा नहीं कर सकते। वचनबद्ध हुए चले जाते हो, और तुम अच्छी तरह जानते हो कि वचनों को पूरा नहीं कर पाओगे। क्योंकि तुम एक नहीं हो, तुम एक अव्यवस्था हो, एक अराजकता हो। इसलिए पतंजलि कहते है, 'अब योग का अनुशासन।' यदि तुम्हारा जीवन एक परम दुःख बन चुका है, यदि अनुभव करते हो कि तुम जो भी करते हो उससे नर्क ही बनता है, तब वह क्षण आ गया है। यह क्षण तुम्हारी हस्ती के, तुम्हारे अस्तित्व के आयाम को बदल सकता है।

Gurdjieff used to say, "This is the chief characteristic of man, that he cannot promise." You cannot fulfill a promise. You go on giving promises, and you know well you cannot fulfill, because you are not one: you are a disorder, a chaos. Hence, Patanjali says, NOW THE DISCIPLINE OF YOGA. If your life has become an absolute misery, if you have realized that whatsoever you do creates hell, then the moment has come. This moment can change your dimension, your direction of being.

वह प्रवाहित होता रहता है। तुम उसे ग्रहण करने के लिए वहां हो या नहीं इसका कोई प्रश्र ही नहीं। वह तो नदी की भांति बह रहा है। और यदि तुम खाली हो एक पात्र की तरह—तैयार और खुले हुए तो वह तुममें बह आयेगा।

He is flowing. Whether you are there to receive or not, that is not the point. He flows like a river. If you are empty like a vessel, ready, open, he will flow in you.

यदि ऐसा क्षण नहीं आया तो तुम योग का अध्ययन किये चले जा सकते हो, तुम एक बड़े विद्वान बन सकते हो लेकिन तुम योगी नहीं बनोगे। तुम इस पर शोध—प्रबंध लिख सकते हो, भाषण भी दे सकते हो, लेकिन तुम योगी न बनोगे। वह क्षण अभी तुम्हारे लिए नहीं आया है। बौद्धिक तौर पर तुम इसमें रुचि ले सकते हो, मन के द्वारा तुम योग से संबंधित हो सकते हो लेकिन योग कुछ नहीं है, अगर यह अनुशासन नहीं है। योग कोई शास्त्र नहीं है; योग अनुशासन है। यह कुछ ऐसा है जिसे तुम्हें करना है। यह कोई जिज्ञासा नहीं है, यह दार्शनिक चिंतन भी नहीं है। यह इन सबसे कहीं गहरा है। यह तो सवाल है जीवन और मरण का।

If that moment has not come, you can go on studying yoga, you can become a great scholar, but you will not be a yogi. You can write theses upon it, you can give discourses upon it, but you will not be a yogi. The moment has not come for you. Intellectually you can become interested, through your mind you can be related to yoga, but yoga is nothing if it is not a discipline. Yoga is not a shastra; it is not a scripture. It is a discipline. It is something you have to do. It is not curiosity; it is not philosophic speculation. It is deeper than that. It is a question of life and death.

यदि शरीर अगतिमान है और मन भी अगतिमान है, तब तुम केंद्र में, अंतस में केंद्रस्थ हो। स्थिर आसन केवल शारीरिक प्रशिक्षण नहीं है। यह एक ऐसी स्थिति का निर्माण करना हुआ जिसमें कि केंद्रस्थता घटित हो सकती है; जिसमें कि तुम अनुशासित हो सकते हो। जब तुम बस हो, जब तुम केंद्रस्थ हो गये हो, जब तुम जान गये कि मात्र होने का क्या अर्थ है, तब तुम सीख सकते हो क्योंकि तभी विनम्र बनोगे। तब तुम समर्पित हो सकते हो। तब कोई नकली अहंकार तुमसे चिपका न रहेगा क्योंकि एक बार जब स्वयं में केंद्रित हो जाते हो तब जान लेते हो कि सारे अहंकार झूठे हैं। तब तुम झुक सकते हो। और तब एक शिष्य का जन्म होता है।

If the body is non-moving, the mind is non-moving, you are centered. This non-moving posture is not a physiological training only. It is just to create a situation in which centering can happen, in which you can become disciplined. When you are, when you have become centered, when you know what it means to be, then you can learn, because then you will be humble. Then you can surrender. Then no false ego will cling to you because once centered you know all egos are false. Then you can bow down. Then a disciple is born.

यदि वह क्षण आ गया है जब कि तुम महसूस करते हो कि सारी दिशाएं अस्त—व्यस्त हो गयी हैं, सारी राहें खो गयी है, भविष्य अंधियारा है और हर इच्छा कडुआ गयी है और हर इच्छा द्वारा तुमने केवल निराशा ही पायी है, यदि आशाओं और सपनों की ओर सारी गतियां समाप्त हो चुकी हैं— ' अब योग का अनुशासन।' और यह 'अब' आया ही नहीं होगा तो मैं योग के विषय में कितना ही कहता जाऊं लेकिन तुम नहीं सुन पाओगे। तुम तभी सुन सकते हो, यदि वह ' क्षण' तुम में उपस्थित हो चुका है।

If the moment has come where you feel that all directions have become confused, all roads have disappeared; the future is dark, and every desire has become bitter, and through every desire you have known only disappointment; all movement into hopes and dreams has ceased: NOW THE DISCIPLINE OF YOGA. This "now" may not have come. Then I may go on talking about yoga but you will not listen. You can listen only if the moment is present in you.

यदि तुम्हारा मोहभंग हुआ है, यदि तुम आशारहित हुए हो, यदि तुमने सब इच्छाओं की व्यर्थता को पूरी तरह जान लिया है; यदि तुमने देखा है कि तुम्हारा जीवन अर्थहीन है, और जो कुछ भी अब तक तुम कर रहे थे वह सब बिलकुल निर्जीव होकर गिर गया है; यदि भविष्य में कुछ भी नहीं बचा है; यदि तुम समग्र स्‍वप्‍न से निराशा में डूब गये हो, जिसे कीर्कगार्द ने तीव्र व्यथा कहा है; अगर तुम इस तीव्र व्यथा में हो, पीड़ित—नहीं जानते कि क्या करना है, कहां जाना है, किसकी सहायता खोजनी है; बस पागलपन या आत्महत्या या मृत्यु की कगार पर खड़े हो, यदि तुम्हारे पूरे जीवन का ढांचा अचानक व्यर्थ हो गया है—और यदि ऐसा क्षण आ गया है तो पतंजलि कहते हैं— ' अब योग का अनुशासन।' केवल अब, तुम योग के विज्ञान को, योग के अनुशासन को समझ सकते हो।

If you are disillusioned, if you are hopeless, if you have completely become aware of the futility of all desires, if you see your life as meaningless - whatsoever you have been doing up to now has simply fallen dead nothing remains in the future, you are in absolute despair - what Kierkegaard calls anguish. If you are in anguish, suffering, not knowing what to do, not knowing where to go, not knowing to whom to look, just on the verge of madness or suicide or death, your whole pattern of life suddenly has become futile. If this moment has come, Patanjali says, NOW THE DISCIPLINE OF YOGA. Only now you can understand the science of yoga, the discipline of yoga.

' अब योग का अनुशासन।' अनुशासन का मतलब है होने की क्षमता, जानने की क्षमता, सीखने की क्षमता। हमें ये तीनों बातें समझ लेनी चाहिए।'होने की क्षमता।' पतंजलि कहते हैं, यदि तुम अपना शरीर हिलाये बिना मौन रह कर कुछ घंटे बैठ सकते हो, तब तुम्हारे भीतर होने की क्षमता बढ़ रही है। तुम हिलते क्यों हो गुर कुछ पल भी तुम बिना हिले—डुले नहीं बैठ सकते। तुम्हारा शरीर सतत चंचल है। कहीं तुम्हें खुजलाहट. होती है, टांगें सुन्न होने लगती हैं, बहुत कुछ होना शुरू हो जाता है। ये सब हिलने के बहाने हैं।

NOW THE DISCIPLINE OF YOGA. Discipline means the capacity to be, the capacity to know, the capacity to learn. We must understand these three things. The capacity to be. All the yoga postures are not really concerned with the body, they are concerned with the capacity to be. Patanjali says if you can sit silently without moving your body for few hours, you are growing in the capacity to be. Why you move? You cannot sit without moving even for few seconds. Your body starts moving. Somewhere you feel itching; the legs go dead; many things start happening. These are just excuses for you to move.

अथ योगानुशासनम् ।।1।। अब योग का अनुशासन। योगक्षित्तवृत्तिनिरोधः।।2।। योग मन की समाप्ति है। तदास्तु: स्वस्‍वपेऽवस्थानम्।। 3।। तब साक्षी स्वयं में स्थापित हो जाता है। वृत्तिसास्‍वषमितरत्र।। ४।। अन्य अवस्थाओं में मन की वृत्तियों के साथ तादात्‍म्‍य हो जाता है।

NOW THE DISCIPLINE OF YOGA. YOGA IS THE CESSATION OF MIND. THEN THE WITNESS IS ESTABLISHED IN ITSELF. IN THE OTHER STATES THERE IS IDENTIFICATION WITH THE MODIFICATIONS OF THE MIND.

'अब योग का अनुशासन।' योग अनुशासन है, साधना है। यह तुम्हारा प्रयत्न है स्वयं को स्‍वपान्तरित करने का। और इसमें बहुत—सी चीजें समझ लेने जैसी हैं। 'योग चिकित्सा—विज्ञान नहीं है। पश्रिम में आज बहुत से मनोवैज्ञानिक रोगोपचारों का चलन है और पश्िचम के बहुत से मनोवैज्ञानिक समझते हैं कि योग भी चिकित्सा है। ऐसा नहीं है। योग अनुशासन है, साधना है। अन्तर क्या है? अन्तर यही है कि चिकित्सा की आवश्यकता होती है यदि तुम बीमार होते हो, रोगग्रस्त हो। चिकित्सा की तो तब आवश्यकता आ पड़ती है अगर तुम रोगात्मक हो। लेकिन अनुशासन की आवश्यकता तो स्वस्थ होने पर भी है। वास्तव में अनुशासन तो सहायक ही तभी होता है जब तुम स्वस्थ होते हो।

NOW THE DISCIPLINE OF YOGA. Yoga is discipline. It is an effort on your part to change yourself. Many other things have to be understood. Yoga is not a therapy. In the West many psychological therapies are prevalent now, and many western psychologists think that yoga is also a therapy. It is not! It is a discipline. And what is the difference? This is the difference: a therapy is needed if you are ill, a therapy is needed if you are diseased, a therapy is needed if you are pathological. A discipline is needed even when you are healthy. Really, when you are healthy only a discipline can help then.

नीत्से ने एक जगह कहा है कि आदमी सत्य के साथ नहीं जी सकता;

Nietzsche says somewhere that man cannot live with the true:

अब वैज्ञानिक कहते हैं कि मनुष्य नींद के बिना तो जी सकता है, लेकिन सपनों के बिना नहीं जी सकता।

Now scientists say that a man can live without sleep, but he cannot live without dreams.

अब इन बातों को बाहर से भी जाना जा सकता है। यदि कोई सो रहा है तो तुम जान सकते हो कि वह सपने देख रहा है या नही। अगर वह सपने देख रहा है तो उसकी आंखे लगातार गतिमान हो रही होगी—मानो वह बंद आंखों से कुछ देख रहा है। जब वह स्वप्‍नरहित गहरी नींद में है तो उसकी आंखे गतिमान नहीं होंगी; ठहरी हुई होगी। जब आंखें गतिमान हों और तुम्हें बाधा पहुंचाई जाये, तो सुबह तुम थके—मांदे अनुभव करोगे। और यदि आंखें थिर हों और नींद तोड़ी जाये तो सुबह उठने पर कोई थकावट महसूस नहीं होती, कुछ खोता नहीं।

Now this can be known from the outside. If someone is sleeping you can judge whether he is dreaming or asleep. If he is dreaming, his eyes will be moving continuously - as if he is seeing something with closed eyes. When he is fast asleep, eyes will not move; they will remain steady. So while your eyes are moving, if your sleep is disturbed in the morning you will feel tired. While your eyes are not moving, sleep can be disturbed, in the morning you will not feel anything missing.

एक बार एक आदमी बुद्ध के पास आया। वह आदमी अवश्य कोई समाज—सुधारक रहा होगा, कोई क्रांतिकारी। उसने बुद्ध से कहा, 'संसार बहुत दुःख में है; आपकी इस बात से मैं सहमत हूं।' बुद्ध ने यह कभी कहा ही नहीं कि संसार दुख में है। बुद्ध ने कहा, 'तुम दुःख हो, संसार नहीं। जीवन दुःख है, संसार नहीं। मन दुःख है, संसार नही।' लेकिन क्रांतिकारी ने कहा, 'संसार बडी तकलीफ में है। मैं आपसे सहमत हूं। अब मुझे बताइए कि मैं क्या कर सकता हूं? बड़ी गहरी करुणा है मुझ में और मैं मानवता की सेवा करना चाहता हू।'

One man once came to Buddha and he said... He must have been a social reformer, a revolutionary. He said to Buddha, "The world is in misery. I agree with you." Buddha has never said that the world is in misery. Buddha says, "You are the misery," not the world. "Life is misery," not the world. "Man is misery," not the world. "Mind is misery," not the world. But that revolutionary said, "The world is in misery. I agree with you. Now tell me, what I can do? I have a deep compassion, and I want to serve humanity."

वितान कहता है, विश्वास मत करो; जितना बन पड़े संदेह ही करो। लेकिन अविश्वास भी मत करो, क्योंकि अविश्वास भी एक तरह का विश्वास ही है। तुम ईश्वर में विश्वास कर सकते हो या तुम निरीश्वरवाद की धारणा में विश्वास बना सकते हो। तुम आग्रह पूर्वक कह सकते हो कि ईश्वर है या इसके विपरीत उसी हठधर्मी के साथ कह सकते हो कि 'ईश्वर नहीं है।' आस्तिक और नास्तिक दोनो ही विश्वासी है। लेकिन विश्वास विज्ञान की दिशा नही है। विज्ञान का अर्थ है. 'जो है' उसका अनुभव करना; किसी विश्वास की जरूरत नहीं। तो दूसरी बात याद रखनी है कि योग अस्तित्वगत है, अनुभव जन्य है, प्रायोगिक है। वहाँ किसी विश्वास की अपेक्षा नहीं, किसी निष्ठा की आवश्यकता नहीं। वहाँ केवल साहस चाहिए प्रयोग करने का। लेकिन इसी की तो कमी है।

Science says: Don?t believe, doubt as much as you can. But also, don?t disbelieve, because disbelief is again a sort of belief. You can believe in God, you can believe in the concept of no-God. You can say God is, with a fanatic attitude; you can say the quite reverse, that God is not with the same fanaticism. Atheists, theists, are all believers, and belief is not the realm for science. Science means experience something, that which is; no belief is needed. So the second thing to remember: Yoga is existential, experiential, experimental. No belief is required, no faith is needed - only courage to experience. And that?s what?s lacking.

पतंजलि बुद्ध पुरुषों की दुनिया के आइंस्टीन है। वे अद्भुत घटना है। वे सरलता से आइंस्टीन, बोर, मैक्स प्लांक या हेसनबर्ग की तरह नोबल पुरस्कार विजेता हो सकते थे। उनकी अभिवृत्ति और दृष्टि वही है जो किसी परिशुद्ध वैज्ञानिक मन की होती है। कृष्ण कवि हैं; पतंजलि कवि नहीं है। पतंजलि नैतिकवादी भी नहीं है, जैसे महावीर है। पतंजलि बुनियादी तौर पर एक वैज्ञानिक हैं, जो नियमों की भाषा में ही सोचते—विचारते है। उन्होंने मनुष्य के अंतस जगत के निरपेक्ष नियमों का निगमन करके सत्य और मानवीय मानस की चरम कार्य—प्रणाली के विस्तार का अन्वेषण और प्रतिपादन किया।

Patanjali is like an Einstein in the word of Buddhas. He is a phenomenon. He could have easily been a Nobel Prize winner like an Einstein or Bohr or Max Planck, Heisenberg. He has the same attitude, the same approach of a rigorous scientific mind. He is not a poet; Krishna is a poet. He is not a moralist; Mahavira is a moralist. He is basically a scientist, thinking in terms of laws. And he has come to deduce absolute laws of human being, the ultimate working structure of human mind and reality.

पतंजलि अत्यंत विरल व्यक्ति हैं। वे प्रबुद्ध है बुद्ध, कृष्ण और जीसस की भांति; महावीर, मोहम्मद और जरथुस्‍त्र की भांति, लेकिन एक ढंग से अलग है। बुद्ध, कृष्ण, महावीर, मोहम्मद, जरथुस्त्र—इनमें से किसी का दृष्टिकोण वैज्ञानिक नहीं है। वे महान धर्म प्रवर्तक है, उन्होंने मानव—मन और उसकी संरचना को बिलकुल बदल दिया, लेकिन उनकी पहुंच वैज्ञानिक नहीं है।

Patanjali is rare. He is an enlightened person like Buddha, like Krishna, like Christ, like Mahavira, Mohammed, Zarathustra, but he is different in one way. Buddha, Krishna, Mahavira, Zarathustra, Mohammed no one has a scientific attitude. They are great founders of religions. They have changed the whole pattern of human mind and its structure, but their approach is not scientific.

पतंजलि इस पर रोक लगा लेते हैं। वे कविता का प्रयोग नहीं करते। वे एक भी काव्यात्मक प्रतीक का उपयोग नहीं करते। कविता से उन्हें कोई सरोकार ही नहीं। वे सौंदर्य की भाषा में बात ही नहीं करते। वे गणित की भाषा में बात करते हैं। वे संक्षिप्त होंगे और तुम्हें कुछ सूत्र देंगे। वे सूत्र संकेत मात्र हैं कि क्या करना है। वे आनंदातिरेक में फूट नहीं पड़ते। वे ऐसा कुछ भी कहने का प्रयास नहीं करते, जिसे शब्दों में कहा न जा सके। वे असंभव के लिए प्रयत्न ही नहीं करते। वे तो बस नींव बना देंगे और यदि तुम उस नींव का आधार लेकर चल पड़े, तो उस शिखर पर पहुंच जाओगे जो अभी सबके परे है। वे बड़े कठोर गणितज्ञ हैं, यह बात ध्यान में रखना।

Patanjali resists that. He will not use poetry; he will not use a single poetic symbol even. He will not do anything with poetry; he will not talk in terms of beauty. He will talk in terms of mathematics. He will be exact, and he will give you maxims. Those maxims are just indications what is to be done. He will not explode into ecstasy; he will not say things that cannot be said; he will not try the impossible. He will just put down the foundation, and if you follow the foundation you will reach the peak which is beyond. He is a rigorous mathematician - remember this.

मेरे पास लोग आते हैं और कहते हैं, ' अब मैं व्रत लूंगा।' वे कहते हैं, 'अब मैं यह करने की प्रतिज्ञा करता हूं? 'मैं उनसे कहता हूं 'इससे पहले कि तुम कोई प्रतिज्ञा लो, दो बार फिर सोच लो। क्या तुम्हें पूरा आश्वासन है कि जिसने वादा किया है वह अगले क्षण बना भी रहेगा?' तुम कल से सुबह जल्दी चार बजे उठने का निर्णय लेते हो। और चार बजे तुम्हारे भीतर कोई कहता है, 'झंझट मत लो। बाहर इतनी सर्दी पड़ रही है! और ऐसी जल्दी भी क्या है? मैं यह कल भी कर सकता हूं।' और तुम फिर सो जाते हो।

People come to me and they say, "Now I will take the vow. I promise to do this." I tell them, "Think twice before you promise something. Are you confident that next moment the one who promised will be there?" You decide to get up early in the morning from tomorrow - at four o?clock. And at four o?clock somebody in you says, "Don?t bother. It is so cold outside. And why are you in such a hurry? We can do it tomorrow." And you fall asleep again.

इसलिए जो कुछ शरीर में घटित होता है वही मन में घटित होता है। और इसके विपरीत जो कुछ मन में घटित होता है वही शरीर में घटित होता है। यदि शरीर में कोई गति नहीं हो रही और तुम एक ही आसन में स्थिर रह सकते हो, यदि तुम शरीर को खामोश रहने के लिए कह सकते हो तो मन भी खामोश बना रहेगा। वास्तव में मन गतिमय बनता है तो शरीर में भी गति लाने की कोशिश करता है। क्योंकि शरीर में गति आयेगी तो फिर मन भी आसानी से गति कर सकता है। गतिहीन शरीर के साथ मन गतिमय नहीं हो सकता। मन को गतिमान शरीर का सहयोग चाहिए।

So whatsoever happens in the body happens in the mind, and the vice versa: whatsoever happens in the mind happens in the body. If the body is non-moving and you can attain a posture, if you can say to the body "Keep quiet," the mind will remain silent. Really, the mind starts moving and tries to move the body, because if the body moves then the mind can move. In a nonmoving body, the mind cannot move; it needs a moving body.

योग मृत्यु तथा नव जीवन दोनो ही है। तुम जैसे हो, उसे तो मरना होगा। और जब तक पुराना मरेगा नही, नये का जन्म नहीं हो सकता। नया तुम में ही तो छिपा है। तुम केवल उसके बीज हो। और बीज को गिरना ही होगा, धरती में पिघलने के लिए। बीज को तो मिटना ही होगा, केवल तभी तुम में से नया प्रकट होगा। तुम्हारी मृत्यु ही तुम्हारा नव जीवन बन पायेगी। योग दोनों है—मृत्यु भी और जन्म भी। जब तक तुम मरने को तैयार न होओ तब तक तुम्हारा नया जन्म नहीं हो सकता। यह केवल विश्वास को बदलने की बात नहीं है।

So yoga is both a death and a new life. As you are you will have to die, and unless you die the new cannot be born. The new is hidden in you. You are just a seed for it, and the seed must fall down, absorbed by the earth. The seed must die; only then the new will arise out of you. Your death will become your new life. Yoga is both a death and a new birth. Unless you are ready to die, you cannot be reborn. So it is not a question of changing beliefs.

कई बार तुम निराशा अनुभव करते हो लेकिन वह निराशा सच्ची नहीं है। तुम निराशा अनुभव करते हो क्योंकि कुछ आशाएं पूरी नहीं हुईं, कुछ आशाएं विफल हो गयी हैं। किंतु आशा अब भी जारी है। आशा गिरी नहीं। तुम अब भी आशा करोगे। तुम किसी विशेष आशा के प्रति ही असंतुष्ट हो लेकिन तुम आशा मात्र से असंतुष्ट नहीं हो। यदि तुम आशा मात्र से निराश हो गये हो तो वह क्षण आ गया है जब तुम योग में प्रविष्ट हो सकते हो। और यह प्रवेश किसी मानसिक और वैचारिक घटना में प्रविष्ट होने जैसा नहीं होगा। यह प्रवेश होगा एक अनुशासन में प्रवेश।

Sometimes you feel hopeless, but that hopelessness is not true. You feel hopeless because certain hopes have not been achieved, certain hopes have fallen. But hoping is still there: hoping has not fallen. You will still hope. You are dissatisfied with this hope, that hope, but you are not dissatisfied with hope as such. If with hope as such you are disappointed, the moment has come and then you can enter yoga. And then this entry will not be entering into a mental, speculative phenomenon. This entry will be an entry into a discipline.

तुम विश्वास तो बड़ी आसानी से कर लेते हो, क्योंकि तब तुम स्‍वपांतरित होने वाले नही हो। विश्वास तो ऐसी चीज है, जो ऊपरी तौर पर एक सत ही ढ़ंग से तुम से जुड जाती है; उससे तुम्हारा अंतस परिवर्तित नहीं होता तुम किसी स्‍वपांतरण की प्रक्रिया से नहीं गुजर रहे होते। तुम हि हो तो तुम अगले दिन ईसाई बन सकते हो। तुम सरलता से बदल जाते हो। तुम गीता की जगह कुरान या बाइबिल पकड सकते हो। लेकिन वह व्यक्ति, जिसके हाथ में गीता थी और अब जो बाइबिल या कुरान पकड़े हुए है, वह तो ज्यो का त्यो बना रह जाता है। उसने केवल अपने विश्वासो को बदल लिया है।

You can believe easily because in belief you are not going to be transformed. Belief is something added to you, something superficial. Your being is not changed; you are not passing through some mutation. You may be a Hindu, you can become Christian the next day. Simply, you change: you change Gita for a Bible. You can change it for a Koran, but the man who was holding Gita and is now holding the Bible, remains the same. He has changed his beliefs.

बुद्ध की वाणी में तुम्हें कविता मिल सकती है। वहां कविता होगी ही। अपने को अभिव्यक्त करते हुए बुद्ध बहुत बार काव्यमय हुए हैं। परम आनंद का, चरम ज्ञान का जो संसार है वह इतना सुंदर, इतना भव्य है कि काव्यात्मक हो जाने के मोह से बचना मुश्‍किल है। उस अवस्था की सुंदरता ऐसी, उसका मंगल आशीष ऐसा, उसका परम आनंद ऐसा कि उद्गार सहज ही काव्यमय भाषा में फूट पड़ते हैं।

You can find in Buddha?s utterances, poetry - bound to be there. Many times while Buddha is expressing himself, he becomes poetic. The realm of ecstasy, the realm of ultimate knowing, is so beautiful, the temptation is so much to become poetic, the beauty is such, the benediction is such, the bliss is such, one starts talking in poetic language.

तुम अतीत के सिवा और किसी चीज के बारे में सोच ही नहीं सकते। और भविष्य भी अतीत की प्रतिछाया है। न तो अतीत अस्तित्वगत है और न भविष्य। है तो वर्तमान ही, लेकिन तुम कभी उसमें नहीं होते। यही है सपनों में जीने का अर्थ। तो नीत्से सही है जब वह कहता है कि मनुष्य सत्य के संग जी नहीं सकता। उसे झूठ चाहिए, उसी के सहारे वह जी सकता है। नीत्से कहता है कि हम सब कहे जाते हैं कि हमें सत्य चाहिए, लेकिन कोई सत्य को नहीं चाहता। हमारे तथाकथित सत्य कुछ और नहीं, झूठ ही हैं—सुंदर झूठ! नग्‍न वास्तविकता को देखने को कोई तैयार नहीं है।

You cannot think anything else than the past. Future is nothing but past projected again, and both are not. The present is, but you are never in the present. This is what dreaming means. And Nietzsche is right when he says that man cannot live with the truth. He needs lies he lives through lies. Nietzsche says that we go on saying that we want the truth, but no one wants it. Our so-called truths are nothing but lies, beautiful lies. No one is ready to see the naked reality.

तुम मुझे देख रहे हो, सुन रहे हो, लेकिन एक सपने की धारा लगातार तुम में दौड़ी चली जा रही है।

You may be looking at me, you may be listening to me, but a dream current goes on within you.

तुम्हारे पति हैं, पत्नियां हैं और तथाकथित प्रेमी, प्रेमिकाएं हैं लेकिन प्रेम कहीं नहीं। क्योंकि प्रेम तो सन्निकटता की मांग करता है; भरोसा चाहिए उसके लिए। हो सकता है कि तुम्हारे गुरु हैं, शिक्षक हैं, लेकिन शिष्यत्व कहीं नहीं। क्योंकि तुम किसी के अंतस अस्तित्व के प्रति स्वयं को पूरी तरह दे नहीं सकते। तुम स्वयं को मौका नहीं दे पाते कि पूरी तरह गुरु के पास हो सको, गहरी घनिष्ठता बना सको उसके अस्तित्व के साथ, ताकि वह तुम्हें पूर्णस्‍वप्‍न से अभिभूत कर सके, अपने प्रवाह में तुम्हें पूरी तरह प्लावित कर सके।

You may have wives and husbands and so-called lovers, but there is no love, because love needs closeness, love needs trust. You may have gurus, Masters, but there is no disciplehood because you cannot allow yourself to be totally given to somebody?s being, nearness to his being, closeness to his being, so that he can overpower you, overflood you.

तुम स्वयं को इतना थका हुआ पाओगे जैसे कि बिलकुल सो ही नहीं पाये।

You will feel tired, as if you have not been able to sleep at all.


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